NDA V/S I.N.D.I.A क्या भारत का लोकतंत्र खतरे में है? क्या मोदी सरकार देश को अंदर ही अंदर खोखला कर रही है .....
ऐसी शर्मनाक घटना जो कि पूरा हिंदुस्तान को शर्मिंदा करने वाला था और यही नहीं इसका आलोचना पूरे विश्व में हो रहा है, लेकिन आपको ये सब नहीं पता होगा क्योंकि जो हमारा इंडियन मीडिया है। वह हमारे फकीर आदमी के साथ मिलकर भारत को विश्व गुरु बनाया जा रहा। मणिपुर के जो मुख्यमंत्री हैं एन बीरेन सिंह। उनसे इस घटना पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इस्तीफा देने का तो छोड़िए बल्कि उन्होंने ये कहा की ऐसी घटनाएं तो ढेर सारा हुआ। यानी। 100 से ज्यादा लोगों का जान चला गया है, लेकिन उन्हें इन सब का रत्ती भर भी अफसोस नहीं है। यहाँ तक कि सरकार अपनी गलती भी नहीं मान रही है। यहाँ तक कि मणिपुर समस्या को डाइवर्ट करके उन राज्यों के पीछे छुपाया जा रहा है जहाँ पहले से ही समस्या है।
आज कल के नेता अपनी गलतियों को सिर्फ दूसरों के मत्थे मढ़ रहे हैं। देखिये, मेरे हिसाब से किसी भी नेता को ऐसा होना चाहिए की अगर उसके राज्य में किसी एक भी व्यक्ति के साथ अगर समस्या हो तो उस नेता को उच्च चैन की नींद नहीं आनी चाहिए। लेकिन यहाँ उल्टा हो रहा है।
जनता की समस्या को तो छोड़िए सिर्फ पार्टी का प्रचार मंत्री बनकर पार्टी का प्रचार करना है। एक ही रेल को बार बार उद्घाटन करना है। रोज़ रोज़ विदेश दौरे पर जाना है। विपक्ष सदन में मणिपुर पर बोलने के लिए बोले तो सदन में ही नहीं आना है। मतलब कुल मिलाकर पार्टी पार्टी नहीं रह गया है बल्कि एक बिज़नेस हो गया है। किसी भी तरह से पार्टी को प्रॉफिट पहुंचाना है। भले ही पब्लिक घुट घुटकर मरे महंगाई से शिक्षा से करप्शन से बेरोजगारी से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। देखिये ऐसा नहीं है की पार्टी में सिर्फ एक ही जुमला है , नहीं, बल्कि जीतने भी पार्टी में हैं, सभी फेंकने वाले हैं।
अब आप कहेंगे की कैसे? तो एक कहावत है की सब हशूवा के गीत गावत रहे त एक जाना आइएले त खुरपी के गीत गावे लगले,। बिलकुल कुछ इसी तरह कुछ दिन पहले संसद में हुआ एक स्मृति ईरानी जी हैं, जिन्हें लोग गैस सिलिंडर वाली भी कहते हैं। वो इसलिए की जब गैस का दाम 400 के आसपास था तो वो गैस सिलिंडर को अपने सिर पर लेकर हर जगह घूमा करती थी, लेकिन अब बिल्कुल विपरीत हो गया है। ऐसा इसलिए की जब विपक्ष ने सदन में मणिपुर हिंसा पर बोलने के लिए कहा गया। तो मणिपुर पर नहीं, बोलके राहुल गाँधी का मुद्दा उठा लिया गया और अपनी एक्टिंग चालू कर दी। यानी कुल मिलाकर बात ये थी कि जहाँ पर लोगों ने अपनी इज्जत और अपनों को खोया है, उस पर बात नहीं होगी। दूसरी चीज़ पर बात करनी है तो सरकार रेडी है। ये तो हाल हो गया है।
कुछ समर्थक लोग
एजुकेशन की बात करते हैं और कहते हैं कि इस क्षेत्र में बेहतर काम हुआ है, ठीक है। यही नहीं बल्कि
पार्टी के बड़े साहब यानी हमारे मोदी जी भी यही कह रहे हैं। उन्होंने तो यहाँ तक
बोला है की भारत में हर एक सप्ताह एक नई यूनिवर्सिटी बन रही है। हर दूसरे दिन एक
नया कॉलेज खुल रहा है और भारत में हर दिन एक नया आईआईटी की स्थापना हो रही है। यही
नहीं, भारत में हर साल एक नया IIT और एक नया IIM बन रहा है। लेकिन हकीकत
क्या है आप लोग खुद देख लीजिये। बीजेपी के ही मंत्री ने संसद में बताया है कि
पिछले पांच सालों में एक भी आईआईटी या आईआईएम नहीं खुले हैं। अब हम को ये नहीं समझ
में आ रहा है की इतने बड़े नेता हों के भी झूठ बोल रहे है। अब जो
उनके भक्त हैं वो भी तो अपने बॉस से सीखकर झूठ नहीं बोलेंगे और क्या करेंगे और यही नहीं अगर यूनिवर्सिटी की बात की जाए तो वो भी झूठ है। जुमला है
यूनिवर्सिटी खुल भी रहे हैं तो सरकारी नहीं प्राइवेट खुल रहे हैं। अब भाजपा के बहुत से नेता बोलते रहते हैं की हम गरीबों के नेता हैं तो आप ही बताइए की क्या गरीब का एक बच्चा प्राइवेट यूनिवर्सिटी में दाखिला ले सकता है क्या? अगर कुल मिलाकर एक लाइन में बात किया जाए तो यह सरकार सब कुछ धनी वर्ग के लिए कर रही है। गरीबों के लिए सिर्फ बातें हो रही है। वो भी कैसे बातें गरीबों को 2Kg या 4kg राशन दे देगी, किसी योजना के तहत 2k या ₹3000 दे देगी और उसके बाद पूरे देश में ढिंढोरा पीटते रहेंगे की मैंने गरीबों के लिए किया है। मैंने गरीबों के लिए किया। ऐसा नहीं है कि विकास नहीं हुआ है, विकास हुआ है लेकिन विकास क्या हुआ है, इसे समझने के लिए इससे पहले ये समझना होगा कि विकास आखिर चीज़ क्या है?
देखिये आजकल विकास दो प्रकार के हो गया है
पहला कागज पर विकास और
दूसरा जमीन पर विकास।
अभी मौजूदा समय में जो हो रहा है वह कागज पर विकास। और रही बात जमीन पर विकास होने की तो वो भी हुआ है, लेकिन आम जनता के साथ नहीं बल्कि उनके खुद का और उनके खुद के परिवारों के साथ हुआ है। तभी तो उनके बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं और हमारे बच्चों को एक अच्छा स्कूल या एक अच्छा कॉलेज तक नसीब नहीं हो रहा। ऐसा नहीं है कि देश में अच्छा शिक्षा नहीं मिल रहा है, मिल रहा है लेकिन इतना महंगा मिल रहा है की उसको सिर्फ हाई क्लास की लोग अफोर्ड कर सकते हैं। मिडल क्लास और गरीब लोगों को तो सूँघने तक नहीं मिल रहा है। गरीब लोगों को सिर्फ सरकारी खिचड़ी खाने के लिए छोड़ दिया गया है। खिचड़ी खाते रहो और अंधभक्त बनते रहो। अच्छा ये सब छोड़ दिया जाए तो उनका एक। फेवरेट नारा हुआ करता था।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
तो क्या सच में बेटियों को बचाया जा रहा है या सिर्फ ये भी एक चुनाव जीतने का टेक्निक है मुझे तो लगता है ये चुनाव जीतने का एक हथियार ही है । ऐसा क्यों कह रहा हूँ? क्योंकि कुछ दिन पहले ही
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB का आंकड़ा आया है । जिसमें लगभग 2019 से 2021 के बीच भारत से। 13.13लाख महिलाएं और लड़कियां लापता हो गई है। और उनके बारे में
सरकार को पता नहीं है की वो लड़कियां आखिर लापता होकर कहा गई है । हमेशा किसी भी चुनाव में गला फाड़कर चिल्लाते रहते हैं
की हम महिलाओं के साथ है। तब भी इतनी महिलाएं और लड़कियां गायब हो गई। और सबसे
ज्यादा आंकड़ा तो मध्यप्रदेश का है जहाँ।
1) Madhya Pradesh
1,60,180
महिलाएं और 38,234
लड़कियां गायब हो गई है।
2) Maharashtra
178400
महिलाएं और 13033 लड़कियां गायब हो गई है।
3) Jammu and Kashmir
9765
महिलाएं और लड़कियां गायब हो गई है।
4) Delhi
61054
महिलाएं और 22919 लड़कियां गायब हो गई है।
5) Odisha
70222
महिलाएं और 16649 लड़कियां गायब हो गई है।
6) Chhattisgarh
49116 महिलाएं
और 10817 लड़कियां गायब हो गई है।
इसके बाद और भी राज्य हैं जो आपके स्क्रीन पर दिखाई दे रहा है। जहाँ से महिलाएं और लड़कियां गायब हुई है। ये वो राज्य हैं जहाँ से। गायब हुई है। फिर भी कुछ अंधभक्त जीवी कहते हैं कि देश तरक्की कर रहा है। देखिये दोस उनका भी नहीं है जो भक्त बने हुए है। दोस उन सब नेताओं का है जो सिस्टम का गलत इस्तेमाल करके आपके ब्रेन को वॉश किया जा रहा है। इसीलिए जो सही है वो नहीं दिखता है। जो दिखता है वह आपको सही लग रहा है ।
खैर जो जैसा कर्म
करेगा उसको भुगतना ही पड़ेगा, लेकिन इतना तो है जनता
के हाथ में बहुत ताकत होता है जिसको चाहे। एक सेकंड में पटककर धूल चटा सकती है, इतनी ताकत होता है, जानते मे !

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